Posts

Showing posts from March, 2021

Tarkeshwar Scandal-तारकेश्वर कांड

Image
 तारकेश्वर मामला (जिसे तारकेश्वर कांड या महंत-एलोकेशी मामला भी कहा जाता है) ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के बंगाल में एक सार्वजनिक कांड को संदर्भित करता है। यह एक सरकारी कर्मचारी नोबिन चंद्र की पत्नी एलोकेशी और तारकेश्वर शिव मंदिर के ब्राह्मण प्रधान पुजारी (या महंत) के बीच एक अवैध प्रेम संबंध के परिणामस्वरूप हुआ। नोबिन ने बाद में प्रेम संबंध के कारण अपनी पत्नी एलोकेशी का सिर काट दिया। 1873 के तारकेश्वर हत्याकांड को एक अत्यधिक प्रचारित परीक्षण के बाद, जिसमें पति और महंत दोनों को अलग-अलग डिग्री में दोषी पाया गया था। बंगाली समाज ने महंत के कार्यों को दंडनीय और आपराधिक माना, जबकि नोबिन की एक बेहूदा पत्नी की हत्या की कार्रवाई को सही ठहराया। परिणामी सार्वजनिक आक्रोश ने अधिकारियों को दो साल बाद नोबिन को रिहा करने के लिए मजबूर किया। यह कांड कालीघाट पेंटिंग और कई लोकप्रिय बंगाली नाटकों का विषय बन गया, जिसमें अक्सर नोबिन को एक समर्पित पति के रूप में चित्रित किया जाता था। महंत को आम तौर पर एक महिलावादी के रूप में प्रस्तुत किया जाता था, जो युवा महिलाओं का फायदा उठाता था। हत्या की शिकार एलोके

ENEMY OF HUMAN - CORONA VIRUS

Image
वायरस क्या है? कोरोनावायरस (CORONA VIRUS) एक कोशिकीय जीव है जो कि सामान्य आंखों से नहीं देखा जा सकता इनको सूक्ष्मदर्शी की मदद से ही देखा जा सकता है।कोरोनावायरस (CORONA VIRUS) नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर बने होते हैं यह केवल जीवित कोशिकाओं में ही वृद्धि करते हैं शरीर के बाहर यह निष्क्रिय रहते हैं परंतु शरीर के अंदर यह जीवित अवस्था में वृद्धि करते हैं।  इसकी उत्पत्ति कहां से हुई? कोरोना वायरस का उदय सबसे पहले 1930 में एक मुर्गी में हुई और इसमें मुर्गी की श्वसन प्रणाली को प्रभावित किया था और आगे चलकर 1940 में कई अन्य जानवरों में भी कोरोना वायरस पाया गया। सन 1960 में एक व्यक्ति में भी करोना वायरस पाया गया जिसने सर्दी होने की शिकायत की थी ।इन सब की बाद वर्ष 2019 में इसने अपना विकराल और भयानक रूप चीन में दिखाया चीन से धीरे-धीरे यह वायरस पूरे विश्व में फैलता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना का नाम COVID-19 रखा है जहां "CO" का अर्थ "CORONA", "VI" का अर्थ "VIRUS" और "D" का अर्थ  "Disease" है। और "19" का अर्थ सा

Medical History Makers -Dr. Barbara Ross-Lee

Image
Medical History Makers -Dr. Barbara Ross-Lee बारबरा रॉस-ली (Dr. Barbara Ross-Lee-medical history makers), D.O.(Doctor of Osteopathic Medicine)  एक अमेरिकी चिकित्सक, अकादमिक और अमेरिकी मेडिकल स्कूल के डीन के रूप में सेवा करने वाली पहली अफ्रीकी अमेरिकी महिला हैं। उन्होंने 1985 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करके वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान में पढ़ाई की। इसके बाद 1979 में उन्होंने मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ ओस्टियोपैथिक मेडिसिन में प्रवेश किया। इसके बाद रॉस-ली ने अपना निजी पारिवारिक अभ्यास खोला, एक प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया, और 1993 तक मेडिकल समुदाय के भीतर अन्य पदों पर रहे, जब वह ओहियो यूनिवर्सिटी हेरिटेज कॉलेज ऑफ ओस्टियोपैथिक मेडिसिन की पहली महिला डीन चुनी गईं तब तक वह अपने काम और उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान अर्जित कर लिया था। रॉस-ली (barbara ross lee-medical history makers) का जन्म अर्नेस्टीन फ्रेड रॉस, सीनियर से हुआ था और डेट्रायट की आवासीय परियोजनाओं में बडे हुये। वह छह बच्चों में सबसे बड़ी हैं, जिनमें बहन डायना रॉस भी शामिल हैं। रॉस-ली

SPRING OF COLOR - HOLI

Image
होलिका दहन इस साल गुरुवार, 17  मार्च 2022  को किया जाएगा. होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. उसके बाद भद्रा मुख लग जाएगा जिसमें होलिका दहन नहीं किया जाता है. कुल मिलाकर, होलिका दहन के लिए 1 घंटे 10 मिनट का समय रहेगा. होली (Festival Colors) भारत में हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्यौहार (color holi) फागुन महा में मनाया जाता है। इस त्यौहार को शांति और भाईचारे का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि इस दिन हर व्यक्ति, छोटे और अमीर, गरीब, सभी को चेहरे पर प्यार का प्रतीक  रंग और गुलाल   लगवाकर अपना प्यार दिखाना चाहिए। होलिका दहन फागुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।  होली  (Festival Colors)  का यह महान त्यौहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। रंग बिरंगे चेहरे देखकर क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या पुरुष, क्या महिलाएं, सभी के मन में एक उमंग पैदा हो जाती है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला के दौरान विभिन्न रंग

LORD SHIVA

Image
प्रस्तावना  भारत में हिंदुओं द्वारा 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है परंतु उसमें महादेव एक प्रमुख स्थान रखते है। देवों के देव महादेव अनादि और अनंत है भारतवर्ष में सभी देवी देवताओं की जन्म कथाएं प्रचलित है किंतु महादेव अजन्मे है इसका तात्पर्य यह है कि वह सृष्टि की रचना से पहले से इस सृष्टि में विद्यमान है और जब यह सृष्टि समाप्त हो जाएगी तब सिर्फ और सिर्फ महादेव ही इस सृष्टि में होंगे।ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी की पूर्ण शक्ति इसी पंचाक्षर मंत्र मे निहित है। त्रिदेवो मे ब्रह्मदेव  सृष्टि रचयिता,  श्रीहरि पालनहार और भगवान भोलेनाथ विध्वंसक है शिव जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं इस वजह से उन्हें आशुतोष ही कहा जाता है। भगवान शिव की आराधना करने वालों ने  शैव नाम से एक संप्रदाय चलाया है । इस संप्रदाय में  सिर्फ भगवान शिव की उपासक होते है।  शैव  संप्रदाय द्वारा सिर्फ भगवान शिव की पूजा-अर्चना और उपासना की जाती है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार भगवान शिव के 108 नाम है उसमें से सबसे ज्यादा प्रचलित नाम भगवान शिव, शंकर, भोलेनाथ, पशुपति, त्रिनेत्र, पार्वतिनाथ आदि है। शिव-शक्ति  स्व

Conductor Of Underground Rail-Road- Harriet Tubman

Image
हेरियट टूबमेन  आज अमेरिका दुनिया का एक शक्तिशाली देश है। लेकिन एक समय ऐसा था जब अमेरिका दास-प्रथा के कोढ़ से ग्रस्त था। दास-प्रथा जिसमे मानव को जनवरो के समान बेचा और खरीदा जाता था। उनके साथ जनवरो  से भी बुरा बर्ताव किया जाता था।  गुलाम दिनभर  कठोर परिश्रम करते पर  उनको उनके  परिश्रम  की मजदूरी भी नही दी जाती थी।  अमेरिका में दास-प्रथा का विरोध करने वाली एक विख्यात अफ्रीकी-अमेरिकी महिला थी। हेरियट टूबमेन ।  हेरियट टूबमेन का जन्भ 1820 या 1821  मैरीलैंड के डोरचेस्टर काउंटी मे एक गुलाम परिवार मे हुआ था।   हेरियट टूबमेन अपने  गुलाम   माता हेरियट ग्रीन और पिता बेंजामीन रोस की नौ संतानो ( लीना , मारिया रीति , सोफ , रॉबर्ट , मिन्टी ( हेरियट टूबमेन ), बेन , रेचेल , हेनरी और मूसा)  मे छठी संतान थी। हेरियट ग्रीन और बेंजामीन रोस के मलिक नाम एडवर्ड ब्रोडास था। एडवर्ड ब्रोडास हेरियट टूबमेन का भी मलिक  था।  हेरियट टूबमेन को  गुलामी के जीवन से नफरत थी। इसलियेे  हेरियट टूबमेन ने  भूमिगत रेल  से पलायन कर अपने को दास-प्रथा से मुक्त कराया और 300  गुलामो को भी  दास-प्रथा से मुक्त कराया । भूमिग