Elon Musk’s Life Story in Hindi | From Zip2 to Mars

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Elon Musk’s Life Story in Hindi | From Zip2 to Mars Elon Musk’s Life Story in Hindi | From Zip2 to Mars परिचय एलन मस्क—एक ऐसा नाम जो अब केवल तकनीकी नवाचार का पर्याय नहीं, बल्कि आधुनिक युग की संभावनाओं और सीमाओं को परिभाषित करने वाला व्यक्तित्व बन चुका है। उन्होंने अपने विचारों, कल्पनाओं और प्रयासों से न केवल एक नया व्यावसायिक आयाम रचा, बल्कि विज्ञान, अंतरिक्ष, ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में मानवीय विकास को रफ्तार दी। उनका जीवन संघर्ष, संकल्प, और सफलता की त्रयी है। वे उन कुछ गिने-चुने लोगों में से हैं जिन्होंने मानव सभ्यता के भविष्य के लिए जोखिम उठाया और उसे वास्तविकता में परिवर्तित किया। बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि एलन रीव मस्क का जन्म 28 जून 1971 को दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया शहर में हुआ था। उनके पिता एरोल मस्क एक कुशल इलेक्ट्रोमैकेनिकल इंजीनियर थे, जबकि उनकी मां मे मस्क एक जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट और मॉडल थीं। एलन बचपन में अंतर्मुखी, गहराई में सोचने वाले और असामान्य रूप से जिज्ञासु थे। किताबें उनके सबसे अच्छे दोस्त हुआ करती थीं। वे विज्ञान, फिक्शन और तकनीकी पुस्तकों ...

Conductor Of Underground Rail-Road- Harriet Tubman


हेरियट टूबमेन 


आज अमेरिका दुनिया का एक शक्तिशाली देश है। लेकिन एक समय ऐसा था जब अमेरिका दास-प्रथा के कोढ़ से ग्रस्त था। दास-प्रथा जिसमे मानव को जनवरो के समान बेचा और खरीदा जाता था। उनके साथ जनवरो  से भी बुरा बर्ताव किया जाता था। गुलाम दिनभर कठोर परिश्रम करते पर उनको उनके परिश्रम की मजदूरी भी नही दी जाती थी। अमेरिका में दास-प्रथा का विरोध करने वाली एक विख्यात अफ्रीकी-अमेरिकी महिला थी। हेरियट टूबमेन ।  हेरियट टूबमेन का जन्भ 1820 या 1821 मैरीलैंड के डोरचेस्टर काउंटी मे एक गुलाम परिवार मे हुआ था।  हेरियट टूबमेन अपने गुलाम माता हेरियट ग्रीन और पिता बेंजामीन रोस की नौ संतानो (लीना, मारिया रीति, सोफ, रॉबर्ट, मिन्टी (हेरियट टूबमेन), बेन, रेचेल, हेनरी और मूसा) मे छठी संतान थी। हेरियट ग्रीन और बेंजामीन रोस के मलिक नाम एडवर्ड ब्रोडास था। एडवर्ड ब्रोडास हेरियट टूबमेन का भी मलिक  था।  हेरियट टूबमेन को गुलामी के जीवन से नफरत थी। इसलियेे हेरियट टूबमेन ने भूमिगत रेल से पलायन कर अपने को दास-प्रथा से मुक्त कराया और 300 गुलामो को भी दास-प्रथा से मुक्त कराया ।

भूमिगत रेल नक्शा

हैरियट को गुलामी की जिंदगी पसंद नहीं थी। वो गुलामी की जिंदगी से नफरत करती थी।हैरियट अपने हिसाब से काम को करना पसंद करती थी जिस वजह से उसको बहुत ज्यादा मार भी खानी पड़ती थी कभी-कभी तो हैरियट  अपने मालिकों की आदेश को भी नहीं मानती थी।
हैरियट अपने बचपन की घटना के बारे में बताती हुई लिखती हैं कि एक बार वह किसी दूसरे मालिक के यहां काम पर रखी गई वहां उन्होंने शक्कर के टुकड़ों से भरी कटोरी टेबल पर रखी हुई देखी वह लिखती है उन्होंने अपने जीवन मे कोई अच्छी चीज, कोई मीठी चीज नहीं खाई थी वह उस कटोरी शक्कर का टुकड़ा खा लेती है। हैरियट की मालकिन उसे शक्कर का टुकड़ा खाते हुए देख लेती है और चाबूक हाथ में लेकर उसके पीछे दौड़ती है वह मार से बचने के लिए वहां सूअरों के साथ छुप जाती है कुछ समय तक वह वहां सूअरों को डाले जाने वाले आलू के छिलके और अन्य फेकी हुई चीजों को खाकर गुजारा करती है लेकिन अंत में भूख के कारण उनको घर वापस जाना होता है घर पहुंचते ही हैरियट की मालकिन ससून उसे उस चाबुक से बहुत मारती है।
एडवर्ड ब्रोडास अपने फॉर्म हाउस में इमारती लकड़ी, गेहूं, मक्का और सेब की खेती करता था और इन चीजों की बिक्री करता था दक्षिण में नदी के नीचे जो मालिक होते थे उनको अपने गुलाम भी बेचता था। हैरियट  ने अपनी दो बहनों को जिनके हाथ पर हथकड़ी बधी थी को ले जाते हुए देखा था।हैरियट को इस बात की चिंता थी की उसका मालिक एडवर्ड ब्रोडास कहीं उसको भी ना बेच दे। 
उस दौर में कुछ लोग गुलामी प्रथा का विरोध कर रहे थे। उन लोगों को अबोलिशनिस्ट कहते थे यह लोग गुलामी प्रथा के खिलाफ मोर्चा निकालते थे। अबोलिशनिस्ट अपने अखबार का प्रकाशन भी करते थे। उसी दौर में एक युवा क्रांतिकारी गुलाम था जिसका नाम नेट टनॆल था उसने पढ़ा था की मिस्र में  मोसेस ने यहूदियों को गुलामी से मुक्त करवाया था नेट टनॆल भी इसी तरह से अपने लोगों को गुलामी के बंधन से मुक्त कराना चाहता था। 1831 में नेट टनॆल ने एक विद्रोह  प्रारंभ किया इस विद्रोह में वह मालिकों उनकी पत्नियों और बच्चों को कत्ल किया करता था उसके तुरंत बाद उसको पकड़ा गया और उसको फांसी पर लटका दिया गया। इस घटना के बाद हैरियट ने  एक सपना देखा कोई मोसेस उन्हें भी गुलामी की कैद से मुक्त कराएगा।
हैरियट  बचपन का एक और सा किस्सा बताती हैं कि किस तरह एक बार वह मरने से बची। 1835 में एक मालिक अपने गुलाम को पकडने करने के लिए दौड़ा उसके हाथ में लोहे का वजनदार चीज थी जो उसने दौड़ते हुए गुलाम की तरफ फेका जो गुलाम को ना लग कर हैरियट की सर पर जाकर लगी हैरियट के सर में एक गहरा जख्म हुआ और यह जख्म पूरी जीवन में कभी भी ठीक नहीं हो पाया इस जख्म के कारण 80 सालों तक हैरियट का सिर मे अक्सर असहनीय दर्द रहता और इस असहनीय दर्द के कारण हैरियट सो भी नहीं पाती थी। इस हादसे के बाद हैरियट ईश्वर की प्रार्थना करने लगी और ईश्वर का शुक्रिया अदा किया कि इतने गहरे जख्म के बाद भी ईश्वर ने उनके जीवन को सुरक्षित रखा। इस घटना के बाद हैरियट ने लंबा जीवन जिया।
इस घटना के 9 साल बाद हैरियट ने 1844 में जॉन टबमैन से शादी की।जॉन टबमैन एक आजाद नागरिक था और एडवर्ड ब्रोडास की फॉर्म के पास एक लकड़ी की झोपड़ी में  हैरियट के साथ रहने लगा।हैरियट वहां से भागना चाहती थी। उसने जॉन को अपने साथ चलने के लिए कहा पर जॉन वही रहना चाहता था जॉन ने हैरियट को धमकी दी कि अगर वहां से भागी तो मालिक को सब बात बता देगा। पुलिस और उनके खूंखार कुत्ते उसका पीछा करने लगेंगे पर हैरियट ने भागने का पक्का मन बना लिया था बहुत सोच समझकर उसने पलायन की योजना बनाई। 
अक्सर गुलाम मजदूर खेतों में काम करते हुए गीत गाते थे। भागने से पहले हैरियट ने बाकी लोगों के साथ यह गीत गाया गीत के शब्दों में बाकी गुलामों के लिए भागने का संदेश छिपा था।

                              जब रथ आएगा 

                         तब मैं तुम्हें छोड़ कर जाऊंगी

                         मैं अपनी मंजिल तक पहुचूंगी

हैरियट की मंजिल उत्तरी अमेरिका थी जहां उसे गुलामी से आजादी मिलती। रात को हैरियट अपने तीन भाइयों के साथ पलायन किया उनके पास न तो खाना था ना पैसा और उनको यह भी नहीं पता था कि उन्हें कहां जाना है। कुछ दूर जाने के बाद हैरियट के भाइयों ने अपना मन बदला और वापस हैरियट को जबरदस्ती अपने साथ ले आये।दो रात बीतने के बाद हैरियट अकेले ही पलायन किया वह कहती है

  मुझे अधिकार था अपनी मुक्ति का या फिर मौत का 

उसने पलायन की बात कहा

  अगर मुझे एक नहीं मिलता तो दूसरा जरूर मिलता

हैरियट दौड़ी दौड़ी एक गोरी महिला के घर गई उस महिला ने हैरियट की मदद का वादा किया था उसने हैरियट को दूसरे सुरक्षित घर का पता और रास्ता बताया उस घर के लोगों ने हैरियट को उत्तर की ओर अगले सुरक्षित घर का पता बताया इस तरह है यह एक सुरक्षित घर से दूसरे सुरक्षित घर जाती गई इस यात्रा को अंडरग्राउंड रेलरोड का नाम दिया गया इसमें हर एक रेलरोड या स्टेशन एक ऐसे व्यक्ति का घर था जो गुलामी को गलत समझता था और वह गुलामों को मुक्त होने में उनकी सहायता करने को तैयार था। दिन के समय हैरियट कहीं छिप जाती वो रात को ही अपनी यात्रा करती थी अंत में हैरियट पेंसिल्वेनिया पहुंची वहां पर गुलाम रखने पर पाबंदी थी। अब हेरियट टूबमेन   एक आजाद महिला थी उसे लगा जैसे वह एक नई इंसान बन गई हो। वह लिखती हैं अब जब सूरज की रोशनी पेड़ों और फसलों पर पड़ती है तो उसकी चमक उन्हें सोने जैसी महसूस होती थी उनको लगता था जैसे वह स्वर्ग में है।
1850 से  1860 के बीच में हेरियट घरों में खाना पकाने, बर्तन धोने और साफ सफाई का काम किया उसने जो कुछ भी कमाया उससे उसने दक्षिण अमेरिका की 19 चक्कर लगाए जिसमें उसने 300 से ज्यादा गुलामों को मुक्त कराया उनमें कई हेरियट के अपने रिश्तेदार भी थे। हैरियट उन्हें एक सुरक्षित घर से दूसरे सुरक्षित घर ले जाती कई बार वह गुलामों को कनाडा तक ले जाती है हैरियट उस अंडरग्राउंड रेलरोड की कंडक्टर थी।
हेरियट बताती है जब गुलाम हेरियट के साथ उत्तर की अपनी यात्रा शुरू करते तब हैरियट यह सुनिश्चित करती कि कोई भी गुलाम वापस लौट कर नहीं जाएगा जब गुलाम बहुत डरे होते थे और आगे जाने से इनकार करते थे तो हेरियट उनके सिर पर बंदूक रखकर कहती चलते रहो नहीं तो मारे जाऊंगे।

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सालों बाद हैरियट कहती थी कि
  मैंने अपनी रेलर को कभी भी पटरी से उतरने नहीं दिया मैंने एक भी मुसाफिर नहीं खोया 
हैरियट को लोग प्यार से मोसेस बुलाते थे क्योंकि उसने अपने लोगों को गुलामी और दासता से मुक्ति दिलाई थी हैरियट को पकड़वाने पर गोरी सरकार ने बड़ा इनाम रखा था पर अंत में हैरियट को कोई नहीं पकड़ पाया। क्योंकि हैरियट भेष बदलने में निपुण थी वह ग्रुप संदेशों को गीतों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाती थी।
1858 में हैरियट की मुलाकात जॉन ब्राउन से हुई। वह भी लोगों को गुलामी से मुक्त कराने के आंदोलन में सक्रिय थे जॉन ब्राउन ने हैरियट को अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ और सबसे बहादुर महिलाओ में से एक बताया उन्होंने हैरियट को जनरल टबमैन की उपाधि दी।
1860 में अब्राहिम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए तब दक्षिण के 11 राज्यों ने अमेरिका से अपने संबंध तोड़ दिए वे लिंकन जैसे व्यक्ति जो की गुलामी से नफरत करते थे वह अपना लीडर मानने को तैयार नहीं थे।
12 अप्रैल 1861 को उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के बीच में गृह युद्ध छिड़ा युद्ध के समय हैरियट उतरी अमेरिका की सेना में एक नर्स और एक जासूस का भी काम किया करती थी वह बहादुरी से दुश्मनों के इलाकों में जाती और वहां से हैरियट ने सैकड़ों गुलामों को मुक्त कराया हैरियट  ने उन गुलामों को भी मदद की जिन्होंने लड़ाई के दौरान उत्तर की ओर पलायन किया।
दिसंबर 1865 में गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद अमेरिकी संविधान ने एक संशोधन पारित किया उसके द्वारा अमेरिका में गुलामी और दास प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया गया।
ग्रह युद्ध की समाप्ति के बाद हैरियट टूबमेन अपने घर आँर्बन, न्यूयॉर्क वापस लौटी। जॉन टूबमेन का 1867 में देहांत हो गया था 1869 में  हैरियट टूबमेन पूर्व गुलाम और उत्तरी अमेरिकी सैनिक नेल्सन डेविस से विवाह किया। आँर्बन में वो जीविका के लिए सब्जियां भेजती थी वह जहां भी सब्जी बेचने जाती थी लोग उनसे उनकी अंडरग्राउंड रेलरोड की अनुभव के बारे में जानने के लिए इच्छुक होते थे।
उन्होंने महिलाओं की वोट डालने के अधिकार के आंदोलन का भी पुरजोर समर्थन किया इसी आंदोलन के फलस्वरूप अमेरिका में महिलाओं को पहली बार वोट डालने का अधिकार प्राप्त हुआ।

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हैरियट टूबमेन ने आँर्बन, न्यूयॉर्क मे बिमार लोगों ,गरीबों और अश्वेत बेघर लोगों के लिए एक आश्रम हैरियट टूबमेन होम फॉर एज) की शुरुआत भी की। 1911 में जब वह स्वयं उस आश्रम में रहने के लिए गई तब तक वह काफी वृद्ध और कमजोर हो चुकी थी वह कहती थी 
 मुझे स्वर्ग की घंटियां सुनाई दे रही है मुझे परियों और देवदूतो के गीत सुनाई दे रहे हैं
 10 मार्च 1913 को हैरियट टूबमेन  का देहांत हुआ उस समय उनकी आयु 90 वर्ष से ज्यादा थी।
हैरियट टूबमेन  बेहद बहादुर और हिम्मत वाली महिला थी उन्हें जानने वाली लोग उनको बहुत प्रेम करते थे और उनके बहुत बड़े प्रशंसक भी थे। वह गुलामों की आजादी की रेलगाड़ी की कंडक्टर थी और अपने लोगों की मोसेस थी।

20 डॉलर के नोट पर मुद्रित


20 अप्रैल, 2016 को अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने हैरियट टूबमेन की तस्वीर को 20 डॉलर के नोट पर मुद्रित करने की घोषणा की। वे किसी अमेरिकी नोट पर स्थान पाने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी हस्ती हैं। अब नए 20 डॉलर के नोट पर व्हाइट हाउस तथा पूर्व राष्ट्रपति एण्ड्रयू जैक्सन की तस्वीर को मुख-पृष्ठ से हटाकर पीछे कर दिया गया है तथा मुख-पृष्ठ पर हेरियट टूबमेन की तस्वीर रखी गयी है।


-------------------------महिला दिवस की शुभकामनाए








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