डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam Biography in Hindi | Missile Man of India

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🌟 Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi | Missile Man of India APJ Abdul Kalam Biography in Hindi - Missile Man of India भूमिका (Introduction) बचपन और परिवार Early Education और संघर्ष College Life और MIT Experience Scientist Journey at ISRO & DRDO SLV-3 Launch और Team Spirit Missile Man of India Pokhran-II Nuclear Test Presidency (People’s President) Youth Connect और Books APJ Abdul Kalam Quotes अंतिम दिन (Last Day) विरासत और निष्कर्ष 1. भूमिका (Introduction) अगर कभी किसी भारतीय से पूछा जाए कि तुम्हारा सबसे प्रिय राष्ट्रपति कौन था, तो जवाब होगा – Dr. A.P.J. Abdul Kalam । वे केवल “ Missile Man of India ” ही नहीं, बल्कि “ People’s President ” भी थे। उनका जीवन एक ऐसी Story है जिसमें संघर्ष, मेहनत, सपने और सफलता सब शामिल हैं। 2. बचपन और परिवार (Childhood & Family) 15 October 1931 को Tamil Nadu के Rameswaram में Kalam का जन्म हुआ। पिता Jainulabdeen नाव चलाते थे और माँ Ashiamma गृहिणी थीं। छोटा Kalam सुबह अखबार बाँटकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालता था। समुद्र किनारे ब...

Soichiro Honda: The True Story of Rising from Failures to Conquer the World


Soichiro Honda The True Story of Rising from Failures to Conquer the World
Soichiro Honda The True Story of Rising from Failures to Conquer the World


Soichiro Honda: The True Story of Rising from Failures to Conquer the World

(सोइचिरो होंडा: असफलताओं से विश्वविजेता बनने की सच्ची कहानी)

सोइचिरो होंडा का जन्म **17 नवम्बर 1906** को जापान के एक छोटे-से गाँव **हमामात्सु** में हुआ। उनके पिता का साइकिल ठीक करने और छोटे-मोटे इंजन सुधारने का काम था। माँ घर में हाथ से कपड़े बुनती थीं। पैसे ज्यादा नहीं थे, लेकिन होंडा का मन हमेशा नए-नए प्रयोग करने में लगता था।


एक किस्सा बहुत मशहूर है – जब वे छोटे थे, उनके गाँव में पहली बार एक **ग्रामोफोन** आया। बाकी बच्चे उससे गाने सुनकर खुश हो रहे थे। पर होंडा उसकी सुई और घूमने वाला हिस्सा देख रहे थे। उन्होंने पूछा – “ये आवाज़ इसमें बंद कैसे हो जाती है?” यह सवाल सुनकर सब हंस पड़े। लेकिन यही जिज्ञासा उनकी ताकत बन गई।


**स्कूल की पढ़ाई में उनकी खास रुचि नहीं थी।** वे किताबों से ज्यादा औजारों से दोस्ती रखते थे। उनके पिता अकसर नाराज़ होते – “तुम्हें कुछ भी पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता?” होंडा मुस्कुराते हुए कहते – “मुझे मशीनें ज्यादा अच्छी लगती हैं। वे चुपचाप सिखाती हैं।”


**15 साल की उम्र में** होंडा ने गांव छोड़ने का फैसला किया। उनके पिता ने थोड़े से पैसे दिए। वे **टोक्यो** पहुंचे और एक गैराज में **मैकेनिक** की नौकरी पकड़ ली। वहां सबसे छोटा काम उन्हीं को मिलता – तेल लाना, गंदगी साफ करना। लेकिन होंडा कभी बोर नहीं हुए। वे हर चीज़ को ध्यान से देखते।


एक दिन गैराज में एक पुरानी कार आई, जिसका इंजन कोई ठीक नहीं कर पा रहा था। मालिक ने कहा – “किसी और मैकेनिक को बुलाओ।” लेकिन होंडा ने मालिक से विनती की – “एक मौका दीजिए, मैं कोशिश कर लूं?” सबको लगा, यह लड़का मज़ाक कर रहा है। पर कुछ घंटों में होंडा ने इंजन चालू कर दिया। तभी वहां के सीनियर मैकेनिक को समझ आया कि यह लड़का अलग किस्म का है।


कुछ सालों में उन्होंने मशीनों की इतनी बारीक जानकारी सीख ली कि वे खुद नए-नए उपकरण बनाने लगे। यहीं से उन्होंने ठान लिया कि **एक दिन मैं अपनी कंपनी बनाऊंगा।**


**1930 के आसपास**, उन्होंने अपनी छोटी सी वर्कशॉप खोली। वे वहां **पिस्टन रिंग** बनाने लगे। पिस्टन रिंग इंजन का वह हिस्सा होता है जो गाड़ी चलाने में मदद करता है। उन्होंने बहुत मेहनत से उसे तैयार किया। लेकिन जब वे अपनी बनाई पिस्टन रिंग कार बनाने वाली कंपनी **टोयोटा** के पास ले गए, तो उनके मॉडल को खराब बताकर लौटा दिया गया।


यह उनके लिए बड़ा झटका था। लेकिन होंडा ने हार नहीं मानी। उन्होंने **धातु विज्ञान का कोर्स किया।** पढ़ाई के बाद फिर से कोशिश की। पैसा खत्म हो गया। कभी पेट भर खाना नसीब नहीं होता। लेकिन उन्होंने कहा – “जब तक मेरा पिस्टन रिंग सही नहीं होगा, मैं रुकूंगा नहीं।” आखिरकार, कड़ी मेहनत रंग लाई। टोयोटा ने उनके पिस्टन रिंग को खरीद लिया। यह उनकी पहली बड़ी जीत थी।


दुर्भाग्य से कुछ ही साल बाद उनकी फैक्ट्री **दूसरे विश्व युद्ध** में बम गिरने से तबाह हो गई। होंडा ने जो भी बचाया था, वह एक बड़े **भूकंप** में खत्म हो गया। उनके दोस्त और रिश्तेदार बोले – “अब तो सब खत्म हो गया।” होंडा ने जवाब दिया – “खत्म तब होता है जब इंसान कोशिश छोड़ देता है।”


युद्ध के बाद जापान में पेट्रोल की कमी हो गई थी। लोग साइकिलों से सफर कर रहे थे। होंडा ने सोचा – “अगर साइकिल में छोटा मोटर जोड़ दिया जाए तो सफर आसान होगा।” उन्होंने पुराने इंजनों को जमा किया और साइकिल में फिट करना शुरू किया। यह **मोटर-बाइसिकल** इतनी हिट हुई कि लोग कतारों में खड़े होकर खरीदने आने लगे।


यहीं से **होंडा मोटर कंपनी** की शुरुआत हुई। कुछ ही सालों में उन्होंने अपनी पहली असली मोटरसाइकिल **Honda Dream D-Type** बनाई। फिर 1958 में आई **Honda Super Cub**, जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। इसे इतना पसंद किया गया कि अब तक **10 करोड़ से ज्यादा** Super Cub बिक चुकी हैं।


फिर होंडा ने कार बनाने में हाथ आज़माया। उनकी कारें सस्ती, मजबूत और भरोसेमंद साबित हुईं। होंडा ने रेसिंग की दुनिया में भी नाम कमाया। उनकी गाड़ियाँ **फॉर्मूला-1** में भाग लेने लगीं और कई जीत दर्ज कीं।


भारत में भी होंडा का नाम घर-घर पहुंचा। **Hero-Honda Splendor** और **CD 100** बाइक्स ने गांव-शहर हर जगह लोकप्रियता पाई। बाद में **Activa स्कूटर** ने तो स्कूटर बाजार की तस्वीर ही बदल दी।


**1991 में** सोइचिरो होंडा का निधन हो गया। लेकिन उनकी कहानी आज भी हमें यह सिखाती है:

✅ असफलता से डरना नहीं चाहिए।

✅ अगर सीखने की भूख हो, तो कोई सपना दूर नहीं।

✅ एक साधारण परिवार का बच्चा भी पूरी दुनिया बदल सकता है।


आज होंडा सिर्फ एक कंपनी नहीं, **लाखों लोगों के सपनों की साथी** बन चुकी है। और यह सब मुमकिन हुआ – **सोइचिरो होंडा की मेहनत, हिम्मत और जिद की वजह से।**


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