विजयदशमी (दशहरा) 2025 – इतिहास, महत्व, कथा और उत्सव

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  विजयदशमी (दशहरा) 2025 – रावण दहन और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक पर्व 🪔 प्रस्तावना भारत त्योहारों की भूमि है और यहाँ का हर पर्व एक गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भावना से जुड़ा हुआ है। इन्हीं महान पर्वों में से एक है विजयदशमी (दशहरा) । यह त्योहार सत्य की असत्य पर, धर्म की अधर्म पर और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। दशहरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी विशेष है। 📖 विजयदशमी का इतिहास (History of Vijayadashami) विजयदशमी का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इसका संबंध दो प्रमुख पौराणिक कथाओं से जुड़ा है— रामायण की कथा भगवान श्रीराम ने लंका के राक्षस राजा रावण का वध इसी दिन किया था। रावण ने माता सीता का हरण किया था और धर्म की रक्षा के लिए श्रीराम ने युद्ध कर उसका अंत किया। इसीलिए दशहरे के दिन रावण दहन की परंपरा है। देवी दुर्गा की विजय एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। इसलिए इसे महानवरात्रि के बाद विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। 🌸...

Proud Day Of India- Republic Day

 

26 जनवरी का दिवस भारत मे गणतंत्र के रूप एक राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है । 26 जनवरी, 1950 के दिन भारत को  गणतांत्रिक राष्ट्र घोषित किया गया था । इसी दिन स्वतंत्र भारत का नया संविधान लिखा गया था । यह भारतीय लोगोके लिए गौरवका दिन था । संविधान के अनुसार डॉ. राजेन्द्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने । 26 जनवरी को हर वर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है ।

26 जनवरी पूरे देश भर में विशेष कार्यक्रम होते हैं । विद्‌यालयों, कार्यालयों तथा सभी प्रमुख स्थानों में राष्ट्रीय झंडा तिरंगा फहराने का कार्यक्रम होता है । बच्चे का इसमे महत्वपूर्ण स्थान होता है। लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं । स्कूली बच्चे जिला मुख्यालयों, प्रांतों की राजधानियों तथा देश की राजधानी के परेड में भाग लेते हैं । विभिन्न स्थानों में सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं । लोकनृत्य, लोकगीत, राष्ट्रीय गीत तथा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होते हैं । 

गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में होता है । विजय चौक पर मंच बना होता है जहां दर्शको तंता लगा होता है । राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ यहाँ आते हैं और राष्ट्रध्वज फहराते हैं । उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। सेना के बैंड राष्ट्रगान की धुन गाते हैं । राष्ट्रपति परेड का निरीक्षण करते हैं । परेड में विभिन्न विद्‌यालयों के बच्चे, एन.सी.सी. के कैडेट्‌स पुलिस अर्द्धसैनिक और सेना के जवान भाग लेते हैं । परेड को देखने नेतागण, राजदूत और देश की जनता बड़ी संख्या में आती है । इस अवसर पर किसी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है ।


गणतंत्र दिवस की परेड आकर्षण का केन्द्र बिदुं होता है । सेना और अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियाँ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ती हैं । परेड के बाद झांकियों का दृश्य सलामी मंच के सामने से गुजरता है ।  झांकियो में कश्मीर के शिकारे का दृश्य तो किसी में महात्मा बुद्ध की शांत मुद्रा की झलक देखने को मिलता है । किसी में महाराणा प्रताप अपने घोड़े चेतक पर नजर आते है तो किसी में रणचंडी बनी लक्ष्मीबाई । किसी-किसी झाँकी में नृत्यांगनाएँ नाचती-गाती सबको मंत्रमुग्ध किए चलती हैं । विभिन्न राज्य अपनी झाँकी में अपनी संस्कृति को दर्शाते हैं । बहादुर बच्चे हाथी या जीप पर सवार होकर बहुत प्रसन्न दिखाई देते है । गणतंत्र दिवस के समारोह में राष्ट्रपति देश के निमित्त असाधारण वीरता प्रदर्शित करनेवाले सेना और पुलिस के जवानों को वीरता पुरस्कार एवं पदक प्रदान करते है ।

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र अपने महानायकों को स्मरण करता है । हजारों-लाखों लोगों के बलिदान के बाद देश को आजादी मिली आगे फिर राष्ट्र गणतंत्र बना । स्वतंत्रता के लिये कइयों ने अपनी जान गँवायी । महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं ने जान की बाजी लगा दी । अपने गणतंत्र को फलता-फूलता देखने के लिए हमें इस राष्ट्र ग्रंथ को अपने जीवन और  हृदय में धारण करना होगा तभी हम एक उत्तम देश की आधारशीला रखने मे सफल हो पायेग।

                                             -----धन्यवाद-------





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