Big Bull Of Indian Stock Market- Harshad Mehta
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1980-1990 के दशक में शेयर बाजार को हिला देने वाले इकलौते राजा हर्षद मेहता, जिन्होंने भारत के शेयर बाजार की दिशा बदल दी या यूं कहें कि हालत खराब कर दी। हर्षद मेहता 90 के दशक के सबसे बड़े स्कैमर थे। उन्होंने शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला किया है। एक छोटी स्टॉक मार्केट कंपनी के छोटे व्यापारी से हर्षद के शेयर बाजार के सबसे बड़े राजा बनने की कहानी बहुत दिलचस्प है। जिस स्टॉक पर हर्षद मेहता ने हाथ रखा वह सोने में बदल गया।
हर्षद मेहता कौन है?
नाम (Name) |
हर्षद शांतिलाल मेहता |
जन्म (Date of Birth) |
29/07/1954 |
आयु |
47 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth
Place) |
राजकोट, गुजरात |
परिवार (Family) |
माता पिता, 3 भाई, पत्नी, एक बेटा |
पिता का नाम (Father
Name) |
शांतिलाल मेहता |
माता का नाम (Mother
Name) |
रासिलाबेन मेहता |
पत्नी का नाम (Wife Name) |
ज्योति मेहता |
पेशा (Occupation ) |
बिजनेस मैन (स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर) |
बच्चे (Children) |
आतुर मेहता |
भाई (Brother) |
3 भाई (आश्विन मेहता, हितेश मेहता, सुधीर मेहता) |
मृत्यु (Death) |
31/12/ 2001 |
मृत्यु स्थान (Death
Place) |
ठाणे जैल मुंबई, महाराष्ट्र |
हर्षद मेहता का जन्म 29 जुलाई 1954 को गुजरात के राजकोट शहर पैनल मोती में हुआ था। हर्षनशाद मेहता के पिता का नाम शांतिलाल मेहता और माता का नाम रसीलाबेन मेहता था। हर्षद मेहता का पूरा नाम हर्षद शांतिलाल मेहता है। हर्षद मेहता के पिता शांतिलाल मेहता कांदिवली, मुंबई में एक छोटी कपड़ा कंपनी के मालिक थे। हर्षद का पूरा बचपन कांदिवली में बीता, उसके बाद उनका पूरा परिवार मध्य प्रदेश के रायपुर के मोधापारा में चला गया। हर्षद ने अपनी स्कूली शिक्षा होली क्रॉस हायर सेकेंडरी स्कूल से की और 1976 में बी.ए. लाला लाजपत राय कॉलेज, मुंबई से। कॉम डिग्री। मुंबई में ही उन्होंने 8 साल तक छोटे-मोटे काम किए। सीमेंट बेचने से लेकर उन्होंने वित्तीय कंपनियों में भी काम किया। इससे वे शेयर बाजार की ओर बढ़े, जिसके कारण उन्हें एक स्टॉक मार्केट ब्रोकरेज फर्म में नौकरी मिल गई, वहां से उन्होंने शेयर बाजार के गुर सीखे और 1984 में ग्रो मोर राइजर्स एंड एसेट मैनेजमेंट और बॉम्बे नाम से अपनी खुद की कंपनी शुरू की। भंडार। ब्रोकर के रूप में एक्सचेंज में सदस्यता ली। और यहीं से शुरू हुआ शेयर बाजार के उस बेताज बादशाह के घोटाले का सफर।
दलाली स्ट्रीट, एक ऐसी गली जहां दुनिया की आस्था यानि पैसे का राज बदलने की ताकत चलती है। लेकिन यह सड़क ईमानदारी के अलिखित नियमों पर चलती है। लाभ भी है और हानि भी।
शेयर बाजार में मेहता की एंट्री तब हुई जब उन्होंने द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी में नौकरी शुरू की। यहीं से शेयर बाजार में उनकी दिलचस्पी बढ़ी और नौकरी छोड़कर 1981 में हरिजीवनदास नेमिदास सिक्योरिटीज नाम की ब्रोकरेज फर्म में जॉब ज्वाइन किया और हर्षद मेहता प्रसन्ना परिजवंदस को अपना गुरु मानते थे।
हर्षद मेहता ने प्रसन्ना परिजवंदस के साथ काम करके शेयर बाजार के सभी गुर सीखे और 1984 में ग्रो मोर रिसर्च एंड एसेट मैनेजमेंट नाम से अपनी खुद की कंपनी शुरू की और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में ब्रोकर के रूप में सदस्यता ली। फिर यहीं से शुरू हुई हर्षद मेहता की अर्श से फर्ज तक की कहानी, शेयर बाजार के बेताज बादशाह हर्षद और शेयर बाजार के अमिताभ बच्चन 'बिग बुल' के नाम से मशहूर हुए। 1990 तक हर्षद मेहता भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ा नाम बन चुके थे।
शेयर बाज़ार में घोटाला
1990 के दशक में बड़े निवेशकों ने हर्षद मेहता की कंपनी में पैसा लगाना शुरू किया, लेकिन जिस वजह से शेयर बाजार में हर्षद मेहता का नाम छाया हुआ, उन्होंने अपना पैसा एसीसी यानी एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी में लगाना शुरू कर दिया।
हर्षद मेहता ने एसीसी के पैसे का निवेश करने के बाद, एसीसी की किस्मत बदल दी, क्योंकि एसीसी का हिस्सा जो 200 रुपये था, कुछ ही समय में 9000 हो गया।
1990 तक हर बड़े अखबार और मैगजीन के कवर पेज पर हर्षद मेहता का नाम आने लगा। शेयर बाजार में हर्षद मेहता का नाम बड़े सम्मान से लिया जाने लगा। हर्षद मेहता के 1550 वर्ग फुट के समुंदर में बने पेन्ट हाउस से लेकर महंगी गाडिय़ों के उनके शौक तक, सभी ने उन्हें सेलिब्रिटी बना दिया था। ऐसा पहली बार हो रहा था कि कोई छोटा दलाल लगातार इतना निवेश कर रहा है और हर निवेश पर करोड़ों कमा रहा है। बस इसी सवाल ने हर्षद मेहता के अच्छे दिनों को बुरे दिनों में बदल दिया। सवाल था कि हर्षद मेहता इतना पैसा कहां से ला रहे हैं? बैंकिंग सिस्टम की कमियों का फायदा उठाकर हर्षद मेहता ने बैंकिंग ट्रांजैक्शन में ब्रेकअप कर लिया।
हर्षद मेहता रेडी फॉरवर्ड (आरएफ) सौदों के जरिए बैंकों से धन जुटाता था। RF डील का मतलब होता है शॉर्ट टर्म लोन। बैंक इस प्रकार का ऋण तब लेते हैं जब उन्हें अल्पकालीन निधि की आवश्यकता होती है। इस प्रकार का ऋण न्यूनतम 15 दिनों की अवधि के लिए होता है।
इसमें एक बैंक सरकारी बांड गिरवी रखकर दूसरे बैंकों को कर्ज देता है। राशि वापस करने के बाद बैंक अपने बांड फिर से खरीद सकते हैं। ऐसे लेनदेन में, बैंक वास्तव में सरकारी बांडों में लेनदेन नहीं करते हैं। बल्कि वे बैंक रसीद (बीआर) जारी करते थे।
इसमें जिस बैंक को नकदी की जरूरत होती थी वह बैंक रसीद जारी करता था। बिल जैसा था। बदले में बैंक कर्ज देते हैं। दो बैंकों के बीच यह लेन-देन बिचौलियों के जरिए होता।
हर्षद मेहता ऐसे लेन-देन की बारीकियों से वाकिफ थे। तो क्या! हर्षद मेहता ने अपनी पहचान का फायदा उठाकर पैसे लिए। फिर इस पैसे को बाजार में लगाकर उसने जबरदस्त मुनाफा कमाया। उस दौरान शेयर बाजार हर दिन चढ़ रहा था।
कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि तब किसी भी शेयर में आंख मूंदकर पैसा लगाने का मतलब सिर्फ मुनाफा ही था। बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए ही हर्षद मेहता ने हेरफेर किया।
हालांकि हर्षद मेहता इन सबके बावजूद नहीं माने, उन्होंने अखबारों में एडवाइजरी कॉलम लिखना शुरू कर दिया कि अगर आप इस कंपनी में निवेश करते हैं, तो आपको फायदा होगा या नहीं, इससे नुकसान होगा। बाद में पता चला कि मेहता उसी कंपनी में पैसा लगाने की सलाह देते थे जिसमें उनका खुद का पैसा लगा हो।
स्टॉक्स मार्केट में पैसे कहाँ से लाता था?
हर्षद मेहता बाजार में ज्यादा से ज्यादा पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते थे। इसलिए उसने फर्जी बैंकिंग रसीद जारी करवाई। इसके लिए उन्होंने दो छोटे बैंक हथियार के रूप में बनाए। हर्षद मेहता बैंक ऑफ कराड और मेट्रोपॉलिटन को-ऑपरेटिव बैंक के साथ अपने अच्छे परिचय का लाभ उठाकर बैंक रसीद जारी करवाते थे। वह इन रसीदों के बदले पैसे जुटाता था और शेयर बाजार में डालता था। इससे वह इंट्राडे में मुनाफा कमाकर अपना पैसा बैंकों में लौटा देता था।
जब तक शेयर बाजार चढ़ता रहा, इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। लेकिन बाजार में गिरावट के बाद जब वह 15 दिनों के भीतर बैंकों में पैसा नहीं लौटा सका तो उसका पर्दाफाश हो गया।
हालांकि, इस बात का खुलासा होने के बाद सभी बैंक उनसे अपना पैसा वापस मांगने लगे। खुलासे के बाद मेहता पर 72 सिलसिलेवार आरोप लगाए गए और दीवानी मामले दर्ज किए गए। शेयर बाजार के लिए रेगुलेटर की कमी हर्षद मेहता की हरकतों के उजागर होने के बाद ही महसूस हुई। इसके बाद बाजार नियामक सेबी का गठन किया गया।
प्रधानमंत्री पर लगाया घूस लेने का आरोप
हर्षद मेहता ने 1993 में पूर्व प्रधानमंत्री और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष पीवी नरसिम्हा राव पर उन्हें मामले से बचाने के लिए 1 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने एक सूटकेस में पीएम को रिश्वत के पैसे दिए थे।
इस बात का खुलासा हर्षद मेहता ने एक कॉन्फ्रेंस में किया था और इसमें उनके साथ राम जेठमलानी बैठे थे. हर्षद मेहता ने कहा कि वह अपने साथ एक सूटकेस लेकर प्रधानमंत्री आवास गए थे। इसमें 67 लाख रुपये थे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेहता ने कहा कि उन्होंने राव के निजी सचिव राम खांडेकर को सूटकेस सौंप दिया. ऐसा उन्होंने प्रधानमंत्री के कहने पर किया। एक करोड़ देने की बात कही जा रही थी, लेकिन उस सुबह तक 67 लाख का ही इंतजाम हो सका. शेष राशि अगले दिन वितरित की गई।
हर्षद ने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को यह भी बताया था कि शेयर बाजार में पैसा कमाना कितना आसान है. उन्होंने कहा कि उन्होंने शपथ पत्र दाखिल कर प्रधानमंत्री को पैसे देने की बात कही है.
हालांकि पीएम पर रिश्वत लेने का आरोप साबित नहीं हो सका. लेकिन न तो हर्षद मेहता को झूठे आरोप लगाने के लिए दोषी ठहराया गया और न ही नरसिम्हा राव को रिश्वत लेने के लिए। नरसिम्हा राव पर आंध्र में नंदयाल लोकसभा उपचुनाव में खर्च करने के लिए हर्षद मेहता से पैसे लेने का आरोप लगाया गया था। हालांकि कांग्रेस ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
हर्षद मेहता को जेल
पत्रकार सुचिता के खुलासे के साथ पुलिस ने जांच की। इसके तहत 72 आपराधिक आरोप और करीब 600 दीवानी मामले दर्ज होने के बावजूद एक ही मामले में साक्ष्य मिले। जिसके चलते हर्षद मेहता को केवल 5 साल की कैद हुई और इतने बड़े घोटाले का दोषी होने के बाद भी 25 हजार जुर्माना लगाया गया।
हर्षद मेहता की मौत
हर्षद मेहता कई मामलों का सामना कर रहे थे लेकिन उन्हें केवल एक मामले में दोषी पाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया और उन्हें 5 साल कैद की सजा सुनाई और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। हरमेश मेहता मुंबई की ठाणे जेल में बंद थे।
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उन्हें ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 31 दिसंबर, 2001 की देर रात सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।
वसूली
घोटाले के 25 साल बाद भी उसके परिवार से इसकी वसूली चल रही थी. कस्टोडियन ने मेहता की संपत्ति बेच दी और बैंकों और आयकर विभाग को 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की। 2017 में ही मेहता के परिवार वालों ने बैंक को 614 करोड़ रुपये की राशि दी थी.
हर्षद मेहता पर वेब सीरीज और फिल्म का निर्माण
हर्षद मेहता के घोटालों पर बनी एक वेब सीरीज फिलहाल फिल्म इंडस्ट्री में चर्चा में बनी हुई है। मशहूर निर्देशक हंसल मेहता द्वारा निर्मित 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' देश के आर्थिक घोटाले के बादशाह हर्षद मेहता पर आधारित है।
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हर्षद के घोटाले की रकम करीब 4000 करोड़ रुपए थी, जो तत्कालीन दौर के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार सुचेता दलाल ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। बाद में उन्होंने और देबाशीष बसु ने मिलकर इस पर 'द स्कैम' नाम से एक किताब लिखी। यह सीरीज इसी किताब पर आधारित है।
इसके अलावा बॉलीवुड में हर्षद मेहता के जीवन पर 'बिग बुल' नाम की एक फिल्म रिलीज होने जा रही है और अभिषेक बच्चन हर्षद मेहता का किरदार निभा रहे हैं।
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