बहु प्रतिभावान राजनैतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीती में पिछले 50 सालों से सक्रीय है. अपने राजनैतिक सफ़र में वाजपेयी जी सबसे आदर्शवादी व प्रशंसनीय राजनेता थे. अटल जी जैसा नेता होना पुरे देश के लिए गर्व की बात है. उनके बहुत से कामों की वजह से देश आज इस मुकाम पर है. जवाहरलाल नेहरु के बाद अगर कोई 3 बार प्रधानमंत्री बना है तो वो अटल जी ही है. अटल जी पिछले 5 दशकों से संसद में सक्रीय रहे, साथ ही वे इकलोते राजनेता है जो 4 अलग अलग प्रदेश से सांसद चुने गए. अटल जी भारत की आजादी के पहले से राजनीती में आ गए थे, उन्होंने गाँधी जी के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में भी भाग लिया था.
अटल की बहुमुखी प्रतिभा के धनी है, वे बहुत अच्छे कवी भी है, जो राजनीती पर भी अपनी कविता और व्यंग्य से सबको आश्चर्यचकित करते रहे है, उनकी बहुत ही रचनाएँ पब्लिश भी हुई है जिन्हें आज भी लोग पढ़ते है. अटल जी को अपनी मातृभाषा हिंदी से भी बेहद प्रेम है, अटल जी पहले राजनेता बने, जिन्होंने UN General Assembly में हिंदी में भाषण दिया था. अटल जी पहली बार सिर्फ 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने थे. इसके 1 साल के बाद वे फिर प्रधानमंत्री बने लेकिन इस बार भी उनका ये सफ़र एक साल का रहा. तीसरी बार अटल जी जब प्रधानमंत्री बने तब उनका कार्यकाल पूरा 5 साल का रहा और ये सबसे अधिक सफल माना गया.
अटल बिहारी जीवन परिचय
1. पूरा
नाम
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अटल
बिहारी वाजपेयी
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2. जन्म
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25 दिसम्बर 1924
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2. मृत्यु
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16 अगस्त
2018
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3. जन्म स्थान
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ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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4. माता-पिता
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कृष्णा देवी, कृष्णा बिहारी
वाजपेयी
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5. विवाह
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नहीं हुआ
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6. राजनैतिक पार्टी
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भारतीय जनता पार्टी
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7. अवार्ड
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1992 – पद्म विभूषण
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1994 – लोकमान्य तिलक अवार्ड
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1994 – बेस्ट सांसद अवार्ड
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1994 –
पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड
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2014 – भारत रत्न
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प्रारंभिक जीवन
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को हुआ। वह अपने पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी के सात बच्चों में से एक थे। उनके पिता एक विद्वान और स्कूल शिक्षक थे।
अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वाजपेयी लक्ष्मीबाई कॉलेज और कानपुर में डीएवी कॉलेज चले गए। यहां से उन्होंने अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने लखनऊ से आवेदन भरा लेकिन अपनी पढ़ाई जारी नहीं कर पाए। उन्होंने आर.एस.एस. द्वारा प्रकाशित पत्रिका में बतौर संपादक नौकरी कर ली। हालांकि उन्होंने विवाह नहीं किया लेकिन उन्होंने बी एन कौल की दो बेटियों नमिता और नंदिता को गोद लिया।
कॅरिअर
वाजपेयी की राजनैतिक यात्रा की शुरुआत एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हुई। 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के कारण वह अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। इसी समय उनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई, जो भारतीय जनसंघ के नेता थे। उनके राजनैतिक एजेंडे में वाजपेयी ने सहयोग किया। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मुकर्जी की जल्द ही मृत्यु हो गई और भारतीय जनसंघ की कमान वाजपेयी ने संभाली और इस संगठन के विचारों और एजेंडे को आगे बढ़ाया। सन 1954 में वह बलरामपुर सीट से संसद सदस्य निर्वाचित हुए। छोटी उम्र के बावजूद वाजपेयी के विस्तृत नजरिए और जानकारी ने उन्हें राजनीति जगत में सम्मान और स्थान दिलाने में मदद की। 1977 में जब मोरारजी देसाई की सरकार बनी, वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया। दो वर्ष बाद उन्होंने चीन के साथ संबंधों पर चर्चा करने के लिए वहां की यात्रा की। भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के कारण प्रभावित हुए भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते को सुधारने के लिए उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा कर नई पहल की। जब जनता पार्टी ने RSS पर हमला किया, तब उन्होंने 1979 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सन 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने की पहल उनके व बीजेएस तथा आरएसएस से आए लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत जैसे साथियों ने रखी। स्थापना के बाद पहले पांच साल वाजपेयी इस पार्टी के अध्यक्ष रहे।
भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर
सन 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी को में सत्ता में आने का मौका मिला और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री चुने गए। लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने के कारण सरकार गिर गईऔर वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद से मात्र 13 दिनों के बाद ही इस्तीफा देना पड़ गया।
सन 1998 चुनाव में बीजेपी एक बार फिर विभिन्न पार्टियों के सहयोग वाला गठबंधन NDA के साथ सरकार बनाने में सफल रही पर इस बार भी पार्टी सिर्फ 13 महीनों तक ही सत्ता में रह सकी, क्योंकि AIDMK ने अपना समर्थन सरकार से वापस ले लिया। वाजपेयी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार ने मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कराए।
1999 के लोक सभा चुनावों के बाद NDA को सरकार बनाने में सफलता मिली और अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। इस बार सरकार ने अपने पांच साल पूरे किए और ऐसा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। सहयोगी पार्टियों के मजबूत समर्थन से वाजपेयी ने आर्थिक सुधार के लिए और निजी क्षेत्र के प्रोत्साहन हेतु कई योजनाएं शुरू की। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में राज्यों के दखल को सीमित करने का प्रयास किया। वाजपेयी ने विदेशी निवेश की दिशा में और सूचना तकनीकी के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दिया।
उनकी नई नीतियों और विचारों के परिणाम स्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था ने त्वरित विकास हासिल किया। पाकिस्तान और यूएसए के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ते कायम करके उनकी सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया। हालाँकि अटल बिहारी वाजपेयी की विदेश नीतियां ज्यादा बदलाव नहीं ला सकीं, फिर भी इन नीतियों को बहुत सराहा गया।
अपने पांच साल पूरे करने के बाद NDA गठबंधन पूरे आत्मविश्वास के साथ अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 2005 के चुनाव में उतरा पर इस बार कांग्रेस के नेतृत्व में यू.पी.ए. गठबंधन ने सफलता हासिल की और सरकार बनाने में सफल रही।
दिसंबर 2005 में अटल बिहारी वाजपेयी ने सक्रीय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी।
मृत्यु
सन 2009 में उन्हे दौरा पड़ा था, जिसके बाद उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता ही गया। 11 जून 2018 को उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को वे परलोक सिधार गये। 17 अगस्त को उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या मुखाग्नि दी। राजघाट के पास शान्ति वन में स्मृति स्थल में उनकी समाधि बनायी गयी है।
पुरस्कार और सम्मान
देश के लिए अपनी अभूतपूर्व सेवाओं के चलते उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।
1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान प्राप्त हुआ।
वर्ष 1994 में अटल बिहारी वाजपेयी को लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मानित किया गया
वर्ष 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान।
वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।
वर्ष 2015 में बांग्लादेश द्वारा ‘लिबरेशन वार अवार्ड’ दिया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह थे। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी।
उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं-
मृत्यु या हत्या
अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
सेक्युलर वाद
राजनीति की रपटीली राहें
बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
मेरी इक्यावन कविताएँ
कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
संसद में तीन दशक
अमर आग है
कुछ लेख: कुछ भाषण
अटल जी की टिप्पणियाँ
चाहे प्रधान मन्त्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष; बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेवाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। यहाँ पर उनकी कुछ टिप्पणियाँ दी जा रही हैं।
"भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।"
"क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ[
"मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है
टाइमलाइन (जीवन घटनाक्रम)
1924: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर शहर में हुआ।
1942: भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया।
1957: पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।
1980: बीजेएस और आरएसएस के साथियों के साथ मिलकर बीजेपी की स्थापना की।
1992: देश की उन्नति में योगदान के लिए पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया।
1996: पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने।
1998: दूसरी बार भी देश के प्रधानमंत्री बने।
1999: तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने और दिल्ली से लाहौर के बीच बस सेवा संचालित कर इतिहास रचा ।
2005: दिसंबर माह में राजनीति से संन्यास ले लिया।
2015: देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।
2018: 11 जून 2018, मृत्यु
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Nice 👍
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