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Maria Ressa, Rappler की सह-संस्थापक और Nobel Peace Prize विजेता, fearless journalism के लिए जानी जाती हैं। |
मारिया रेस्सा (Maria Ressa) आज की दुनिया में Investigative Journalism का एक ऐसा नाम है जिसने पूरी दुनिया को यह दिखाया कि पत्रकारिता केवल खबरें देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और सच की रक्षा करने का सबसे बड़ा हथियार है। वे फिलीपींस (Philippines) की जानी-मानी पत्रकार, लेखिका और Rappler नामक ऑनलाइन न्यूज़ प्लेटफॉर्म की सह-संस्थापक (co-founder) हैं।
साल 2021 में मारिया रेस्सा को Nobel Peace Prize से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें रूसी पत्रकार Dmitry Muratov के साथ मिला था। यह सम्मान साबित करता है कि आज के डिजिटल युग में भी सच्ची पत्रकारिता की ताकत सबसे ऊपर है।
मारिया रेस्सा का जन्म 2 अक्टूबर 1963 को मनीला (Manila, Philippines) में हुआ। जब वह मात्र 10 साल की थीं, तो उनका परिवार अमेरिका शिफ्ट हो गया। यहीं से उनकी शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत हुई।
उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (Princeton University) से English और Theatre में ग्रेजुएशन किया। कॉलेज के दिनों में ही उन्हें journalism और writing में गहरी रुचि पैदा हो गई थी।
👉 In her own words:
"Journalism is not just a profession, it’s a mission to safeguard truth against power."
Maria Ressa ने अपने करियर की शुरुआत CNN में की। वहाँ उन्होंने South-East Asia में terrorism, politics और democracy से जुड़ी गहन रिपोर्टिंग की। वे लगभग 20 साल तक CNN के लिए काम करती रहीं और दुनिया भर की जटिल घटनाओं को सामने लाती रहीं।
इसके बाद वे फिलीपींस लौट आईं और 2012 में उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर Rappler नाम की एक digital news website शुरू की।
Rappler आज फिलीपींस का सबसे बड़ा स्वतंत्र डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म है।
यहाँ पर भ्रष्टाचार, human rights violations, fake news और digital misinformation पर गहरी रिपोर्टिंग की जाती है।
Rappler ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाकर यह साबित किया कि “Press Freedom is essential for democracy.”
👉 यही कारण है कि Rappler और Maria Ressa को कई बार सरकारी दबाव और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
मारिया रेस्सा को 2021 में Nobel Peace Prize से सम्मानित किया गया। Norwegian Nobel Committee ने यह सम्मान देते हुए कहा –
"Maria Ressa and Dmitry Muratov are being recognized for their courageous fight for freedom of expression, which is a precondition for democracy and lasting peace."
यह सम्मान इस बात का प्रमाण था कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसे दबाने की कोशिश कभी सफल नहीं हो सकती।
Maria Ressa एक शानदार लेखिका भी हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं जो terrorism, digital warfare और fake news के खतरों पर आधारित हैं।
Seeds of Terror (2003)
From Bin Laden to Facebook (2013)
इन किताबों में उन्होंने यह समझाने की कोशिश की कि terrorism और digital networks किस तरह से दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं।
मारिया रेस्सा का जीवन केवल सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह संघर्षों और साहस का भी उदाहरण है।
Rappler की critical reporting के कारण उन्हें कई बार कोर्ट में मुकदमों का सामना करना पड़ा।
उन पर tax evasion और cyber libel के केस डाले गए।
कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
👉 Maria Ressa Quote:
"Without facts, you can’t have truth. Without truth, you can’t have trust. Without trust, you don’t have democracy."
मारिया रेस्सा को अब तक कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें प्रमुख हैं –
Nobel Peace Prize (2021)
UNESCO/Guillermo Cano World Press Freedom Prize
Time Person of the Year (2018, as part of ‘Guardians of Truth’)
Golden Pen of Freedom Award
Maria Ressa अपने निजी जीवन को काफी private रखती हैं। वे मुख्य रूप से अपने काम, पत्रकारिता और लोगों की आवाज़ उठाने पर ही ध्यान देती हैं।
उनका मानना है कि –
"Journalism is activism, but activism in the service of truth."
मारिया रेस्सा का जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह दिखा दिया कि भले ही सरकार, कॉर्पोरेट या digital trolls पत्रकारिता को दबाने की कोशिश करें, लेकिन सच को दबाया नहीं जा सकता।
उनकी कहानी यह संदेश देती है कि –
Journalism is not a crime
Freedom of expression is non-negotiable
Truth always wins over propaganda
मारिया रेस्सा का जीवन संघर्ष, साहस और सत्यनिष्ठा का प्रतीक है। उन्होंने दुनिया को यह दिखाया कि एक पत्रकार केवल खबरें लिखने वाला नहीं, बल्कि समाज का प्रहरी होता है।
उनकी यह पंक्ति उनके पूरे जीवन को सार्थक करती है –
"Democracy dies in darkness, but it survives in the courage of journalists."
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