🌟 दीपावली 2025: पारंपरिक कहानी, महत्व और प्रकाश के इस पर्व का आध्यात्मिक अर्थ | Diwali Festival Full Story in Hindi

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  A beautiful traditional oil painting of Goddess Lakshmi and Lord Ganesha surrounded by diyas, symbolizing prosperity and light. Artwork  ✨ प्रस्तावना भारत विविधताओं से भरा देश है — यहाँ हर त्योहार के पीछे एक संदेश, एक सीख और एक आध्यात्मिक भावना छिपी होती है। उन्हीं में से एक है दीपावली , जिसे हम दीवाली के नाम से भी जानते हैं। यह केवल एक त्योहार नहीं बल्कि अंधकार पर प्रकाश की विजय , अज्ञान पर ज्ञान की जीत और नकारात्मकता पर सकारात्मकता के उत्सव का प्रतीक है। 🌼 दीपावली का पारंपरिक इतिहास और कथा दीपावली से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान श्रीराम की है। त्रेतायुग में जब भगवान राम ने रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीयों की अनगिनत पंक्तियाँ जलाकर पूरी नगरी को प्रकाश से भर दिया। इस दिन को ही दीपावली कहा गया — यानी दीपों की अवली (श्रृंखला)। लेकिन दीपावली सिर्फ एक कथा तक सीमित नहीं है। भारत के विभिन्न प्रांतों में इससे जुड़ी अनेक पौराणिक और सांस्कृतिक कहानियाँ हैं: 🪔 1. लक्ष्मी जी का जन्मदिन कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय माँ लक्ष...

Victor Vekselberg: The Emperor of Power, Wealth, and Conspiracy?


Victor Vekselberg: The Emperor of Power, Wealth, and Conspiracy?
Victor Vekselberg: The Emperor of Power,
Wealth, and Conspiracy?


नाम:

विक्टर वेक्सेलबर्ग

राष्ट्रीयता:

रूसी

धर्म/जातीयता:

यहूदी मूल

पेशा:

व्यवसायीअरबपति निवेशक

प्रसिद्धि:

रूस के सबसे अमीर लोगों में एक,

रेनोवा ग्रुप के अध्यक्ष

विवाद:

भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़े,

रूसी सरकार से करीबी संबंध

विक्टर वेक्सेलबर्ग: एक रूसी उद्योगपति, शक्ति और विवादों के बीच

रूस के बड़े उद्योगपतियों की सूची में विक्टर वेक्सेलबर्ग का नाम एक विशेष स्थान रखता है। वे न केवल रूस की धातु और ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रभावशाली चेहरा हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति, निवेश और सांस्कृतिक संरक्षण में भी उनकी गहरी भागीदारी रही है। लेकिन उनकी यात्रा सिर्फ व्यापारिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं रही; उन पर भ्रष्टाचार, सत्ता से निकटता और वैश्विक प्रतिबंधों के आरोप भी लगे हैं। यह लेख उनकी जीवन यात्रा, उपलब्धियों और विवादों का विश्लेषण करता है।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

विक्टर वेक्सेलबर्ग का जन्म 14 अप्रैल 1957 को ड्रोहोबिच (अब यूक्रेन में) में हुआ था। उनका परिवार यहूदी मूल का था। वे एक प्रतिभाशाली छात्र थे और उन्होंने मास्को रेलवे इंजीनियरिंग संस्थान से इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने USSR Academy of Sciences से डॉक्टरेट भी पूरी की।


व्यवसाय की शुरुआत और रेनोवा ग्रुप

सोवियत संघ के विघटन के बाद जब रूस में निजीकरण की लहर आई, तब वेक्सेलबर्ग ने उस अवसर का लाभ उठाया। उन्होंने "रेनोवा ग्रुप" की स्थापना की, जिसने एल्यूमिनियम, तेल, गैस और अन्य क्षेत्रों में तेजी से निवेश किया। 1996 में उन्होंने साइबेरियन-यूरल्स एल्युमिनियम कंपनी (SUAL) की सह-स्थापना की, जिसने बाद में RUSAL के साथ विलय कर लिया — यह दुनिया की सबसे बड़ी एल्युमिनियम कंपनियों में से एक बनी।


सत्ता से संबंध और अंतरराष्ट्रीय भूमिका

वेक्सेलबर्ग को रूस की सत्ता के गलियारों में काफी करीबी माना जाता है, विशेष रूप से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनके संबंध अक्सर चर्चा में रहते हैं। वे स्कोल्कोवो इनोवेशन सेंटर के अध्यक्ष भी हैं, जिसे रूस की "सिलिकॉन वैली" कहा जाता है। हालांकि, पश्चिमी देशों ने इसे रूसी खुफिया तंत्र से जोड़ते हुए संदेह की नजरों से देखा है।


विवाद और भ्रष्टाचार के आरोप

वेक्सेलबर्ग का नाम कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विवादों में आ चुका है। अमेरिका द्वारा 2018 में उन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए, और उनकी करोड़ों डॉलर की संपत्ति जब्त कर ली गई। 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, तब वे फिर से वैश्विक प्रतिबंधों के केंद्र में आ गए। उनकी लग्ज़री यॉट, प्राइवेट जेट और अन्य संपत्तियाँ अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा जब्त की गईं।


इसके अलावा, "पेंडोरा पेपर्स" और अन्य लीक दस्तावेज़ों में भी उनके नाम का ज़िक्र हुआ है, जिससे यह संकेत मिला कि उन्होंने अपनी संपत्ति को छुपाने के लिए कई ऑफशोर कंपनियों का इस्तेमाल किया।


सांस्कृतिक योगदान

विवादों के बावजूद वेक्सेलबर्ग ने रूस की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने प्रसिद्ध फेबर्ज़ अंडों का निजी संग्रह खरीदा और उसे रूस वापस लाकर संग्रहालय में प्रदर्शित किया। यह कदम रूस के राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाने की दिशा में देखा गया।


निष्कर्ष

विक्टर वेक्सेलबर्ग एक जटिल व्यक्तित्व हैं। जहां एक ओर वे रूस की औद्योगिक प्रगति के प्रतीक हैं, वहीं दूसरी ओर वे भ्रष्टाचार, गुप्त सौदों और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक विवादों से घिरे हुए हैं। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे आधुनिक रूस के आर्थिक उदय के साथ-साथ सत्ता, पूंजी और राजनीति कैसे गहराई से जुड़ी हुई हैं।




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