The Splitting Killer Charles Sobhraj: True Crime Story in Hindi
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Helen Thomas, White House ki woh journalist jinhone power se bina dare sawal pooche.
व्हाइट हाउस का प्रेस ब्रीफिंग रूम…
कैमरों की रोशनी, पत्रकारों की कतारें और सामने खड़ा अमेरिका का राष्ट्रपति।
सवाल-जवाब का दौर खत्म होने वाला होता है।
तभी एक शांत, आत्मविश्वास से भरी आवाज़ गूंजती है:
“Thank you, Mr. President.”
यह सिर्फ एक औपचारिक वाक्य नहीं था।
यह पहचान थी।
यह आवाज़ थी Helen Thomas की —
उस पत्रकार की, जिससे अमेरिका की सत्ता भी सहज महसूस नहीं करती थी।
4 अगस्त 1920,
Winchester, Kentucky।
Helen Thomas का जन्म एक Lebanese immigrant family में हुआ।
घर में न पैसा ज़्यादा था,
न ही कोई राजनीतिक पहचान।
स्कूल के दिनों में उन्हें उनके background की वजह से
कई बार अपमान सहना पड़ा।
लोग उनके खाने, बोलने और नाम तक पर तंज कसते थे।
लेकिन Helen में बचपन से एक बात अलग थी —
👉 सवाल पूछने की आदत।
यही आदत आगे चलकर
उन्हें एक fearless journalist बना गई।
1940 के दशक में
पत्रकारिता को men’s profession माना जाता था।
महिलाओं को lifestyle या society pages तक सीमित रखा जाता था।
Politics, White House और power journalism
सिर्फ पुरुषों का क्षेत्र समझा जाता था।
लेकिन Helen Thomas ने यह सोच मानने से इनकार कर दिया।
1943 में,
वह Washington D.C. पहुँचीं
और United Press में नौकरी मिली —
एक साधारण सी post: Copy Girl।
यह कोई glamorous काम नहीं था,
लेकिन यहीं से उन्होंने system को समझना शुरू किया।
Helen Thomas सिर्फ काम नहीं करती थीं,
वह हर चीज़ observe करती थीं।
कौन सच बोल रहा है?
कौन जवाब घुमा रहा है?
धीरे-धीरे उन्होंने खुद को साबित किया।
United Press से
United Press International (UPI) तक उनका सफर बढ़ता गया।
1961 में,
जब John F. Kennedy राष्ट्रपति बने,
Helen Thomas को White House cover करने की जिम्मेदारी मिली।
👉 वह बनीं White House Press Corps की पहली महिला रिपोर्टर।
यह सिर्फ नौकरी नहीं थी,
यह इतिहास था।
White House press room
एक बंद दुनिया थी —
जहाँ सूट पहने ताक़तवर लोग बैठते थे।
और उनके बीच
एक महिला —
नोटबुक हाथ में,
आँखों में आत्मविश्वास।
शुरुआत में लोग उन्हें हल्के में लेते थे,
लेकिन जब Helen सवाल पूछती थीं,
तो पूरा कमरा शांत हो जाता था।
उनके सवाल सीधे होते थे —
बिना घुमाव, बिना डर।
इसी वजह से
1970 में,
वह बनीं White House Bureau Chief बनने वाली पहली महिला।
Helen Thomas ने जिन राष्ट्रपतियों को cover किया:
Eisenhower से लेकर
Barack Obama तक।
👉 लगभग 50 वर्षों की journalism
👉 10 अमेरिकी राष्ट्रपति
हर राष्ट्रपति अलग था,
लेकिन Helen का style एक जैसा रहा:
✔ Direct questions
✔ No fear
✔ No compromise
इसीलिए उन्हें कहा गया:
“First Lady of the Press”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में
जब सब शांत हो जाते थे,
Helen हमेशा कहती थीं:
“Thank you, Mr. President.”
यह वाक्य आज भी
White House journalism की पहचान माना जाता है।
यह बताता था —
👉 सवाल पूरे हो चुके हैं,
👉 accountability तय हो चुकी है।
जब Iraq War शुरू हुआ,
सरकार ने कई कारण बताए।
लेकिन जब वे कारण झूठे साबित हुए,
Helen Thomas ने सीधा सवाल किया:
“अगर सभी कारण गलत थे,
तो युद्ध में जाने का फैसला क्यों लिया गया?”
यह सवाल सत्ता को चुभ गया।
लेकिन Helen का मानना साफ था:
“Journalism ka kaam power ko please karna nahi,
balki power ko question karna hai.”
2009,
Barack Obama की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस।
Obama मुस्कराते हुए बोले:
“Helen, I’m excited. This is my inauguration moment.”
यह सिर्फ मज़ाक नहीं था,
यह सम्मान था —
एक journalist के लिए,
जिसने दशकों तक लोकतंत्र की रक्षा की।
Helen Thomas ने कई barriers तोड़े:
White House Correspondents’ Association की पहली महिला अध्यक्ष
National Press Club की पहली महिला अधिकारी
Gridiron Club की पहली महिला सदस्य
आज White House में जो महिलाएँ सवाल पूछ रही हैं,
उनके पीछे Helen Thomas की legacy है।
2010 में,
Israel–Palestine पर दिए गए एक बयान के कारण
Helen Thomas विवादों में घिर गईं।
दबाव बढ़ा।
आलोचना हुई।
और 57 साल का करियर
अचानक रुक गया।
उन्होंने इस्तीफा दिया।
बाद में उन्होंने कहा:
“I paid a price, but I stood by my belief.”
Helen Thomas ने 6 किताबें लिखीं।
उनमें सबसे प्रसिद्ध:
Listen Up, Mr. President: Everything You Always Wanted Your President to Know and Do.
🛒 Buy on Amazonआज भी journalism students
उनकी writing और सवालों से सीखते हैं।
20 जुलाई 2013,
Washington D.C.
उम्र — 92 वर्ष।
Helen Thomas दुनिया से चली गईं,
लेकिन उनकी आवाज़ आज भी ज़िंदा है।
Obama ने कहा:
“She kept every president on their toes.”
Helen Thomas हमें सिखाती हैं:
✔ सवाल पूछना ग़लत नहीं
✔ सत्ता से डरना पत्रकारिता नहीं
✔ सच अक्सर असुविधाजनक होता है
Helen Thomas सिर्फ एक journalist नहीं थीं…
वह लोकतंत्र की आत्मा थीं।
और शायद आज भी,
किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में
उनकी आवाज़ गूंजती होगी:
“Thank you, Mr. President.”
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