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| विजयदशमी (दशहरा) 2025 – रावण दहन और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक पर्व |
भारत त्योहारों की भूमि है और यहाँ का हर पर्व एक गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भावना से जुड़ा हुआ है। इन्हीं महान पर्वों में से एक है विजयदशमी (दशहरा)। यह त्योहार सत्य की असत्य पर, धर्म की अधर्म पर और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। दशहरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी विशेष है।
विजयदशमी का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इसका संबंध दो प्रमुख पौराणिक कथाओं से जुड़ा है—
रामायण की कथा
भगवान श्रीराम ने लंका के राक्षस राजा रावण का वध इसी दिन किया था।
रावण ने माता सीता का हरण किया था और धर्म की रक्षा के लिए श्रीराम ने युद्ध कर उसका अंत किया।
इसीलिए दशहरे के दिन रावण दहन की परंपरा है।
देवी दुर्गा की विजय
एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी।
इसलिए इसे महानवरात्रि के बाद विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
आध्यात्मिक महत्व: यह पर्व हमें सिखाता है कि सत्य की हमेशा जीत होती है।
सामाजिक महत्व: रावण दहन से बुराइयों के नाश और समाज में नैतिकता के महत्व का संदेश दिया जाता है।
सांस्कृतिक महत्व: भारत के हर कोने में दशहरा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
व्यक्तिगत महत्व: यह पर्व हमें अपने भीतर के "रावण" जैसे अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या और लोभ को समाप्त करने की प्रेरणा देता है।
रावण दहन: बड़े-बड़े मैदानों में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है।
रामलीला: जगह-जगह भगवान राम की लीला का मंचन होता है, जो नौ दिनों तक चलता है।
शस्त्र पूजन: इस दिन शस्त्र और औजारों की पूजा करने की परंपरा है।
दुर्गा विसर्जन: बंगाल और पूर्वी भारत में इस दिन दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन होता है।
उत्तर भारत: रावण दहन और रामलीला
पश्चिम बंगाल: दुर्गा पूजा और देवी विसर्जन
महाराष्ट्र: शमी वृक्ष की पूजा और "सोनें का आदान-प्रदान"
कर्नाटक (मैसूर): दशहरा महोत्सव, शाही जुलूस और विशेष पूजन
गुजरात: नवरात्रि की गरबा और डांडिया का समापन
इस दिन नया कार्य शुरू करना शुभ माना जाता है।
शस्त्र और औजार की पूजा से सफलता प्राप्त होती है।
शिक्षा और व्यापार की शुरुआत के लिए यह दिन शुभ है।
आज के समय में रावण सिर्फ पुतला नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर की बुराइयों का प्रतीक है।
अहंकार (Ego)
क्रोध (Anger)
लोभ (Greed)
ईर्ष्या (Jealousy)
विजयदशमी हमें प्रेरित करती है कि हम इन आंतरिक रावणों का दहन करें और सत्य, प्रेम, करुणा और धर्म के मार्ग पर चलें।
विजयदशमी केवल एक पर्व नहीं बल्कि एक संदेश है—
"सत्य की विजय निश्चित है और बुराई का अंत अवश्यंभावी।"
इस दशहरे पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने भीतर की नकारात्मकताओं का दहन कर सकारात्मकता और सच्चाई का दीप जलाएँ।
Q1. विजयदशमी कब मनाई जाती है?
👉 आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को।
Q2. विजयदशमी को दशहरा क्यों कहते हैं?
👉 क्योंकि यह दिन "दश" यानी दस सिर वाले रावण के अंत का प्रतीक है।
Q3. इस दिन क्या करना शुभ होता है?
👉 शस्त्र पूजन, नए कार्य की शुरुआत और देवी-देवताओं की आराधना करना।
Q4. विजयदशमी किन दो प्रमुख कथाओं से जुड़ी है?
👉 श्रीराम द्वारा रावण वध और माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर वध।
Q5. विजयदशमी 2025 कब है?
👉 यह तिथि हर वर्ष बदलती है, 2025 में विजयदशमी [अक्टूबर 2025 की तिथि] को मनाई जाएगी।
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