डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जीवनी | APJ Abdul Kalam Biography in Hindi | Missile Man of India

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🌟 Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi | Missile Man of India APJ Abdul Kalam Biography in Hindi - Missile Man of India भूमिका (Introduction) बचपन और परिवार Early Education और संघर्ष College Life और MIT Experience Scientist Journey at ISRO & DRDO SLV-3 Launch और Team Spirit Missile Man of India Pokhran-II Nuclear Test Presidency (People’s President) Youth Connect और Books APJ Abdul Kalam Quotes अंतिम दिन (Last Day) विरासत और निष्कर्ष 1. भूमिका (Introduction) अगर कभी किसी भारतीय से पूछा जाए कि तुम्हारा सबसे प्रिय राष्ट्रपति कौन था, तो जवाब होगा – Dr. A.P.J. Abdul Kalam । वे केवल “ Missile Man of India ” ही नहीं, बल्कि “ People’s President ” भी थे। उनका जीवन एक ऐसी Story है जिसमें संघर्ष, मेहनत, सपने और सफलता सब शामिल हैं। 2. बचपन और परिवार (Childhood & Family) 15 October 1931 को Tamil Nadu के Rameswaram में Kalam का जन्म हुआ। पिता Jainulabdeen नाव चलाते थे और माँ Ashiamma गृहिणी थीं। छोटा Kalam सुबह अखबार बाँटकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालता था। समुद्र किनारे ब...

Sri Ramakrishna Paramahamsa Biography in Hindi | श्री रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय

 Sri Ramakrishna Paramahamsa Biography in

 Hindi | श्री रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय

श्री रामकृष्ण परमहंस की सम्पूर्ण जीवनी


Sri Ramakrishna Paramahamsa Biography in Hindi  श्री रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय
Sri Ramakrishna Paramahamsa Biography in Hindi  श्री रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय


परिचय

श्री रामकृष्ण परमहंस भारत के महानतम संतों में से एक थे। वे अध्यात्म, भक्ति और आत्मज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जीवन एक जीवित उदाहरण है कि कैसे साधारण जीवन जीते हुए भी कोई व्यक्ति ईश्वर का साक्षात्कार कर सकता है। वे न केवल हिन्दू धर्म के विभिन्न मार्गों—ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्म योग—का अनुभव कर चुके थे, बल्कि इस्लाम और ईसाई धर्म को भी अनुभव किया। उनका जीवन सार्वभौमिक धर्म, प्रेम, करुणा और सहिष्णुता का प्रतीक है।


🧒 प्रारंभिक जीवन

पूरा नाम: गदाधर चट्टोपाध्याय
जन्म तिथि: 18 फरवरी 1836
जन्म स्थान: कामारपुकुर, हुगली जिला, पश्चिम बंगाल
पिता: खुदीराम चट्टोपाध्याय
माता: चंद्रमणि देवी

गदाधर का जन्म एक गरीब लेकिन धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे साधारण बच्चों से अलग थे। वे ईश्वर की भक्ति और पूजा में अत्यधिक रुचि रखते थे। गदाधर जब छोटे थे, तब ही वे ध्यान में लीन हो जाया करते थे और अक्सर उन्हें ईश्वरीय अनुभूति होती थी।


🎓 शिक्षा और प्रारंभिक रुचियां

गदाधर को पारंपरिक शिक्षा में विशेष रुचि नहीं थी। वे स्कूल जाते थे, लेकिन उनका मन अध्यात्म और धार्मिक कथाओं में अधिक लगता था। रामायण, महाभारत, पुराणों और भगवान के जीवन चरित्रों को पढ़ने और सुनने में उन्हें गहरी रुचि थी।

वे कला, संगीत, अभिनय और पूजा-पाठ में कुशल थे। मंदिरों की शोभा, मूर्तियों की सुंदरता और धार्मिक अनुष्ठानों ने बचपन से ही उनके मन को आकर्षित किया।


🛕 दक्षिणेश्वर काली मंदिर और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत

1855 में रानी रासमणि ने दक्षिणेश्वर में काली मंदिर बनवाया और श्री रामकृष्ण के बड़े भाई रामकुमार को वहाँ पुजारी नियुक्त किया गया। कुछ समय बाद रामकृष्ण भी वहां पहुँचे और माँ काली की सेवा में रम गए।

जब रामकुमार का निधन हुआ, तब श्री रामकृष्ण को मंदिर का पुजारी बना दिया गया। यहीं से उनके गहन आध्यात्मिक साधना का आरंभ हुआ। उन्होंने माँ काली को साक्षात रूप में देखने की लालसा से कठोर तपस्या शुरू कर दी। उन्होंने खुद को पूरी तरह से साधना में समर्पित कर दिया।


🔥 ईश्वर दर्शन और साधना

रामकृष्ण ने माँ काली के प्रति इतनी गहरी भक्ति दिखाई कि वे अक्सर समाधि अवस्था में चले जाते थे। उन्होंने माँ काली के साक्षात दर्शन किए और अनुभव किया कि "ईश्वर सर्वत्र है।"

श्री रामकृष्ण ने भक्ति के विभिन्न मार्ग अपनाए:

  • तंत्र साधना

  • वैकुंठ भक्ति (राम और कृष्ण भक्ति)

  • ज्ञान योग

  • ईसाई और इस्लामी साधना

उन्होंने इन सभी पथों से ईश्वर को पाने का अनुभव किया और निष्कर्ष निकाला:

"सभी धर्म सत्य हैं और ईश्वर तक पहुँचने के मार्ग हैं।"


👰 विवाह और गृहस्थ जीवन

1859 में रामकृष्ण का विवाह शारदा देवी से हुआ। उस समय वे मात्र 23 वर्ष के थे और शारदा देवी 5 वर्ष की थीं। विवाह के बाद शारदा देवी कई वर्षों बाद दक्षिणेश्वर पहुँचीं और रामकृष्ण की आध्यात्मिक जीवन संगिनी बन गईं।

रामकृष्ण और शारदा देवी का संबंध अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक था। वे दोनों सांसारिक जीवन से ऊपर उठ चुके थे। शारदा देवी को लोग "पवित्र माँ" के रूप में मानते हैं।


🧘‍♂️ शिष्यों का निर्माण

रामकृष्ण के जीवन से प्रभावित होकर कई महान शिष्य उनके पास आए। इन शिष्यों में सबसे प्रसिद्ध थे:

🧡 स्वामी विवेकानंद (नरेंद्रनाथ दत्त)

स्वामी विवेकानंद श्री रामकृष्ण के प्रमुख शिष्य बने। रामकृष्ण ने नरेंद्र को ज्ञान का मार्ग दिखाया और उन्हें विश्व के मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार किया।

रामकृष्ण ने नरेंद्र से कहा:

"तू ज्ञान के पेड़ की तरह होगा, जो लोगों को छाया और फल देगा।"

रामकृष्ण के अन्य प्रमुख शिष्य थे:

  • स्वामी ब्रह्मानंद

  • स्वामी शारदानंद

  • स्वामी अभेदानंद

  • स्वामी योगानंद

  • गिरीश घोष (नाटककार)


📿 उपदेश और शिक्षाएं

श्री रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं सरल, सटीक और अत्यंत प्रभावशाली थीं। उन्होंने सामान्य लोगों को धर्म और अध्यात्म को सरल शब्दों में समझाया।

🔷 मुख्य उपदेश:

  1. ईश्वर एक है, रास्ते अलग-अलग हैं।

  2. हर धर्म में सत्य है।

  3. भक्ति, प्रेम और विश्वास ही ईश्वर को पाने के मुख्य साधन हैं।

  4. गुरु के बिना आत्मज्ञान कठिन है।

  5. सच्चे मन से एक दिन भी प्रार्थना करो, ईश्वर उत्तर देंगे।

  6. पवित्रता, धैर्य और आत्म-नियंत्रण सबसे बड़ा धर्म है।


🌍 सार्वभौमिक धर्म का संदेश

श्री रामकृष्ण परमहंस ने किसी भी धर्म को गलत नहीं माना। उन्होंने कहा कि जैसे अलग-अलग नदियाँ एक ही समुद्र में मिलती हैं, वैसे ही सब धर्मों का अंतिम लक्ष्य ईश्वर है।

वे धार्मिक सहिष्णुता और एकता के प्रतीक बन गए।


🛌 अंतिम समय और महाप्रयाण

1885 में रामकृष्ण को गले का कैंसर हो गया। उन्हें इलाज के लिए काशीपुर गार्डन हाउस (कोलकाता) लाया गया। वहाँ भी उन्होंने अपने शिष्यों को उपदेश देना बंद नहीं किया।

16 अगस्त 1886 को उन्होंने समाधि ली और अपनी आत्मा को ब्रह्म में विलीन कर दिया।


🏛️ रामकृष्ण मिशन की स्थापना

स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए 1897 में "रामकृष्ण मिशन" की स्थापना की। यह संस्था आज भी दुनिया भर में सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और धर्म के कार्यों में समर्पित है।


📚 श्री रामकृष्ण परमहंस पर आधारित ग्रंथ

  1. "श्रीरामकृष्ण लीलाप्रसंग" – उनके जीवन की घटनाओं पर आधारित

  2. "द गॉस्पेल ऑफ श्रीरामकृष्ण" – महेन्द्रनाथ गुप्त द्वारा लिखित


🪔 निष्कर्ष

श्री रामकृष्ण परमहंस का जीवन मानवता, प्रेम, सेवा और आत्म-ज्ञान का प्रतीक है। उन्होंने सिद्ध किया कि सच्ची श्रद्धा और समर्पण से कोई भी व्यक्ति ईश्वर का अनुभव कर सकता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सभी धर्म एक हैं और उनका लक्ष्य एक ही – ईश्वर प्राप्ति है।

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